Ujale ki talash

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शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

sania mirza its BAD play

खेल में तो किसी एक का हारना तय होता है. हो सकता है कि ये मेरी छोटी सोच हो लेकिन हमारी टेनिस प्लयेर सानिया मिर्ज़ा ने तो खेल-खेल में देश कि रेल लगा दी. यानी   सरहदों पर हो रहे खेल में हम हार  गए. सानिया ये बात तो सही है कि प्यार रंग और देश नहीं देखता. प्यार को किसी बंधन में बाँधा नहीं जा सकता हैं. अच्छी मिसाल है. सानिया जी क्या इस देश में अच्छे मुस्लिम नहीं हैं, जिसके लिए आपको सो रही  स्वतंत्र देश माता को लाँघ कर आतंकवाद से अलंकृत  देश में निकाह के लिए जाना पड़ रहा है . मै ये नही कहता कि सभी पाकिस्तानी आतंकवादी हैं. लेकिन एक बात और तय हो जाना जरुरी है कि देश का स्वाभिमान बनाये रखने के लिए आप जैसे लोगो कि जरुरत नही है. सानिया जी आपने अब तक जो शाख देश के लिए बनायी थी हम धन्यवाद देते हैं लेकिन उन सबको पल भर में मिटटी में मिला दिया. गैरत हैं कि जिन्दादिली और मोहब्बत जिस देश में गंगा कि तरह अविरल बहती हो उस देश से आपका परदेसी दिल नहीं लग सका. हमारे गाँव में तो लोग जिला से बाहर शादी करने में भी संकोच करते हैं, गाँव कि मर्यादा उनके लिए सर्वोपरि होती है.
  चलो कोई बात नहीं हम लड़की वाले हैं अब पाकिस्तान के लोगो को कुछ  भी कहने और करने का अधिकार हो गया. भले ही  पाकिस्तान के टेनिस असोसिएशन  के एक अधिकारी ने कह दिया हो कि सानिया को अब पाकिस्तान कि तरफ से खेलना चाहिए.  खैर सानिया ने देश का खाया नमक चुकाते हुए कहा कि नहीं मैं भारत से ही खेलूंगी. मेरे घर के एक पड़ोस में शादी का समारोह चल रहा  था तभी एक बाशिंदे ने चुटकी लेते हुए कहा कि चिंता मत करो अभी पाकिस्तान कहेगा कि दहेज़ में कश्मीर दे दो. बात भले ही मजाक में कही  गयी हो लेकिन हमारा पक्ष तो कमजोर ही रहेगा. खैर लेना देना तो दूर कि बात होगी. उनका क्या करें जिन्हें देश को ताक में रख कर शोख महोब्बत हो गयी है. सुर्ख बाला जवानी का ये जोश देश के होश उड़ाने वाला हो गया है. इन्तहा तो देखो पाकिस्तान में खुद को सुरक्षित नहीं समझती हैं , तो दुबई में रहेंगी. लेकिन देश में नही. देश से तो खेल का धंधा करेंगी. फिलहाल देशवासियों बारात जाने वाली है कपडे वपड़े सिलवालो बेईज्ज़त तो पहले भी हो चुके हो अब और न होना.
आहात हूँ दोस्तों , कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे तुम क्या जानो कि रविन्द्र नाथ टैगोर ने "आखिर जन गन मन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता " क्यों लिखा ? सानिया तुम्हारा कोई दोष नहीं, दोष तो उन मुस्लिमो का है जो भारत माँ कि गोद में रहकर कम से कम आपकी तरह प्रेम पंख पाक नहीं किये.
आशुतोष पाण्डेय
दैनिक पंजाब केसरी

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